
चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रही है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाएगी। इसके बाद मां दुर्गा को विदाई दी जाएगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है।इस साल चैत्र नवरात्रि 9 नहीं बल्कि केवल 8 दिन की पड़ रही है जिसकी शुरुआत 30 मार्च से हो रही है।चैत्र नवरात्रि का पर्व एक विशेष अवसर होता है, जब हम मां दुर्गा की पूजा करके अपने जीवन को शुद्ध और समृद्ध बना सकते हैं। इस दौरान व्रत रखने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक शांति भी मिलती है।
हाथी पर सवार होकर आएंगी माता रानी
चैत्र नवरात्रि का पर्व हर साल श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस साल एक विशेष बात है जो इसे और भी खास बना रही है। इस बार मां दुर्गा अपनी सवारी के रूप में हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा की सवारी का विशेष महत्व होता है, और इस बार उनका हाथी पर सवार होना विशेष शुभ संकेत माना जा रहा है।
हाथी को भारतीय संस्कृति में शांति, स्मृति, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस सवारी का मतलब यह है कि यह समय देश में शांति और समृद्धि का आगमन लेकर आएगा।
चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना मुहूर्त
कलश स्थापना नवरात्रि की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस दौरान विशेष मुहूर्त में कलश स्थापना करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
पहला मुहूर्त: 30 मार्च सुबह 06:13 बजे से 10:22 बजे तक।
दूसरा मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त):
30 मार्च दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक।
इन मुहूर्तों में कलश स्थापना करना विशेष फलदायक होता है। आप इन समयों में अपने घर या पूजा स्थल पर कलश स्थापित कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि
इस चैत्र नवरात्र में महाअष्टमी तिथि 5 अप्रैल और महानवमी 6 अप्रैल को पड़ेगी।नवरात्रि में ये दो दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दिन माता के प्रिय भोग नारियल, चना पूड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है. फिर 9 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराया जाता है।
astro Sunil Chopra