होलिकाष्टक 7 मार्च से शुरू होने से सभी ग्रह होंगे उग्र, होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा, रंगों का त्योहार होली 14 मार्च को

होलाष्टक इस बार 7 मार्च से शुरू हो रहे हैं और 13 मार्च को खत्म हो रहे हैं। होलिका दहन के बाद 14 मार्च को धुलेंडी है, इस दिन लोग खूब रंग से खेलते हैं। होलाष्टक फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होती है और पूर्णिमा तिथि को समापन होता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की होलाष्टक में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश आदि कार्य करना वर्जित हैं। होलाष्टक में सभी ग्रह उग्र अवस्था में आ जाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है इसलिए इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
होलाष्टक के समय दान और व्रत का भी महत्व है। इस दौरान वस्त्र, अन्न, धन आदि का दान करना शुभ माना जाता है।यह कष्टों से मुक्ति और अनुकूल फल देता है।
होली का डंडा कब गड़ेगा
होलिका दहन का डंडा होलाष्टक में गाड़ा जाता है। होली का डंडा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका की स्मृति का प्रतीक है।इस डंडे के आसपास लकड़ी और कंडे लगाए जाते हैं और फिर होलिका दहन के दिन इसे अग्नि दी जाती है।
होलिकाष्टक के दौरान रहते हैं सभी ग्रह उग्र
होलाष्टक के दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं। इन ग्रहों के उग्र होने के कारण मनुष्य की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक बदलाव आता है जिससे उसकी निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है जिसके कारण कई बार उससे गलत निर्णय भी हो जाते हैं। इस कारण हानि की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए जनमानस को इन आठ दिनों में महत्वपूर्ण कार्यों का निर्णय लेने से बचना चाहिए और यदि जरूरी हो तो बहुत अधिक सतर्क रहकर निर्णय लेने चाहिए।

होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा, रंगों का त्योहार होली 14 मार्च को

होलिका दहन इस साल 13 मार्च की रात को होगा और अगले दिन 14 मार्च को होली खेली जाएगी।15 मार्च को पड़वा व 16 मार्च को भाई दूज मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की होली का पर्व पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर अपनी खुशियों को साझा करते हैं और घरों में पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।
होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया
हर साल होलिका दहन के दिन भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल के दौरान किए गए शुभ कार्यों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस कारण होलिका दहन का समय निर्धारित करने से पहले भद्रा समाप्त होने का इंतजार किया जाता है।
इस वर्ष भी होलिका दहन के दिन भद्रा का प्रभाव रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार भद्रा काल 13 मार्च को रात 10:30 बजे समाप्त होगा। इसीलिए 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक का समय होलिका दहन के लिए शुभ रहने वाला है। होलिका दहन के लिए यह शुभ अवधि 01 घण्टा 04 मिनट्स के लिए रहने वाली है।
होली भाई दूज 16 मार्च को मनेगी
हिंदू धर्म में भाई दूज का खास महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर और हाथ में रक्षा सूत्र बांधकर उसके लंबी आयु, अच्छी सेहत और तरक्की की कामना करती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, होली भाई दूज यानी चैत्र माह कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि की शुरुआत 15 मार्च को दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन 16 मार्च को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार होली भाई दूज 16 मार्च को मनाई जाएगी।
होली भाई दूज पर तिलक लगाने का नियम
होली की भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन का निमंत्रण देती है।भाई का प्रेम पूर्वक स्वागत कर उन्हें चौकी पर बैठाए भाई का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।इसके बाद भाई को कुमकुम से तिलक कर चावल लगाएं। फिर भाई को नारियल देकर सभी देवी-देवता से उसकी सुख, समृद्धि दीर्घायु की कामना करें।अब भाई बहन को उपहार में सामर्थ्य अनुसार भेंट करें।भाई को भरपेट भोजन कराएं।

jyotishacharya Sunil Chopra

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